वर्ना बिना रीढ़ की हड्डी के जीवन दिव्यांगता बन जाती है। वर्ना बिना रीढ़ की हड्डी के जीवन दिव्यांगता बन जाती है।
यही समय है उसे मेहतर हो जाना होगा। यही समय है उसे मेहतर हो जाना होगा।
दे के समय अपना अपने पौधों को बनाए वृक्ष ताकि उनकी छाँव में रह सकें आपके अपने दे के समय अपना अपने पौधों को बनाए वृक्ष ताकि उनकी छाँव में रह सकें आपके अपने
यथार्थ...। यथार्थ...।
एक विचार...। एक विचार...।
एक शाम वक्त के नाम...। एक शाम वक्त के नाम...।